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दिव्य प्रकाश दुबे के अनमोल विचार | Divya Prakash Dubey Quotes in Hindi
“बातें हमारे शरीर का वो जरुरी हिस्सा होती है जिनको कोई दूसरा ही पूरा कर सकता है। अकेले बड़बड़ाया जा सकता है, पागल हुआ जा सकता है, बातें नहीं की जा सकती”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“मुझे शुरू से कार ड्राइव करने वाली और गाली देने वाली लड़कियाँ बहुत पसंद थीं। ऐसा लगता था कि कम-से-कम ये तो कुछ भी सहती नहीं होंगी सब अपनी मर्जी से करती होंगी”
― Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी हम तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“हिंदुस्तान के कई छोटे बड़े शहरों में माँ का सबसे बड़ा सपना यही होता है कि उसके बच्चे आपस में हमेशा फर्राटेदार इंग्लिश में बात करें खासकर के पड़ोस वाली आंटी जी के घर आने पर”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“जिनको कभी-कभी गुस्सा आता है उनको जब गुस्सा आता है तो वो कंट्रोल नहीं कर पाते। इसलिए थोड़ा-थोड़ा गुस्सा करते रहना चाहिए, रिश्तों और जिंदगी चलाते रहने के लिए अच्छा रहता है।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“कहानियाँ कोई भी झूठ नहीं होती । या तो वो हो चुकी होती है या वो हो रही होती हैं या फिर वो होने वाली हैं।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“पहली हर चीज की बात हमेशा कुछ अलग होती है क्योकि पहला न हो तो दूसरा नहीं होता, दूसरा न हो तो तीसरा, इसलिए पहला कदम ही जिन्दगी भर रास्ते में मिलने वाली मंजिले तय कर दिया करता हैं।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“जो सुन के अच्छा लगता है वो अच्छा होता हैं और जो सुन के भी अच्छा न लगे वो अच्छा होकर भी अच्छा नहीं होता।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“ये वैसे ही जैसे आप किसी की ईमानदारी की तारीफ करिए तो लोग विश्वास नहीं करते लेकिन अगर किसी के character को लेकर कितना भी झूठा किस्सा अपने मन से बना के सुना दीजिये तो लोग तुरंत मान जाते हैं ,कोई सवाल नहीं पूछता”
― Divya Prakash Dubey, Terms and Conditions Apply
“हम सभी की पहली शादी यूँ ही कभी अकेले में हो जाती है। फालतू में ही हम बैंडबाजे वाली शादी को अपनी पहली शादी बोलते हैं”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“जैसा कि अमूमन सुना जाता रहा है कि प्यार आपको शक्ति देता है उसका मतलब केवल इतना होता है कि प्यार आपको शक्ति तभी दे सकता है जबकि आपके पास पहले से शक्ति हो।”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“किसी से मिलकर नाइस मीटिंग यू अगर कभी लगा भी करे तो बोला मत करो। कुछ चीज़ें बोलते ही कचरा हो जाती हैं।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“मरे हुए की कितनी भी कसम खाओ, कोई फर्क नहीं”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“समंदर जितना बेचैन होता है हम उसके पास पहुँचकर उतना ही शांत हो जाते हैं। यही ज़िन्दगी का हाल है - पूरा बेचैन हुए बिना जैसे शांति मिल ही नहीं सकती।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“इंजीन्यरिंग के तीन साल पूरे होते होते सबको अपनी औकात समझ में आने लगती है । कई लोगों को समझ में आ चुका होता है कि इंजीन्यरिंग उनके लिए नहीं थी”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“आज कल की किसी भी शादी में जय माल के टाइम पर जितनी आसानी से लड़के लड़कियां एक दूसरे से इशारों में बात कर लेते हैं उसको देख के ये जानना करीब करीब असंभव है कि शादी love है या arrange।”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“थोड़ा-सा पागल हुए बिना इस दुनिया को झेला नहीं जा सकता।”
― Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe
“वह ऐसे लौटी जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। हिंदुस्तानी माँएं इस मामले में एक्सपर्ट होती हैं। चाहे बड़ी-से-बड़ी बात हो जाए वे सब कुछ दोबारा से शुरू कर लेती हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। पूरी दुनिया भी अगर उनको शुरू करने को कहा जाए तो वे ऐसे शुरू करेंगी जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।”
― Divya Prakash Dubey, Ibnebatuti । इब्नेबतूती
“कई बार थोड़ी देर के लिए चले जाना बहुत देर के लिए लौट आने की तैयारी के लिए बहुत जरूरी होता है।”
― Divya Prakash Dubey, अक्टूबर जंक्शन
“दुनिया की सबसे मुश्किल बातें शायद माँ बनकर ही आसानी से कही जा सकती हैं।”
― Divya Prakash Dubey, Ibnebatuti । इब्नेबतूती
“एक टाइम के बाद सब टाइमपास ही हो जाता है”
― Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“बचपन में माँ का बेटे को गले लगाना जितनी छोटी घटना है, बड़े होकर बेटे का माँ को गले लगाना उतनी ही बड़ी घटना।”
― Divya Prakash Dubey, Ibnebatuti । इब्नेबतूती
“समंदर जितना बेचैन होता है हम उसके पास पहुँचकर उतना ही शांत हो जाते हैं। यही ज़िन्दगी का हाल है - पूरा बेचैन हुए बिना जैसे शांति मिल ही नहीं सकती।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“किसी से मिलकर नाइस मीटिंग यू अगर कभी लगा भी करे तो बोला मत करो। कुछ चीज़ें बोलते ही कचरा हो जाती हैं।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“एक बार ये भी लगा कि उस दिन कोई बात अधूरी रह गई। असल में बातें हमेशा अधूरी ही रहती हैं। ऐसा तो कभी होता ही नहीं कि हम बोल पाएँ कि मेरी उससे जिंदगी भर की सारी बातें पूरी हो गईं। हम सभी अपने-अपने हिस्से की अधूरी बातों के साथ ही एक दिन यूँ ही मर जाएँगे।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“लाइफ को लेकर प्लान बड़े नहीं, सिम्पल होने चाहिए। प्लान बहुत बड़े हो जाएँ तो लाइफ के लिए ही जगह नहीं बचती।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“जिनको कभी-कभी गुस्सा आता है उनको जब गुस्सा आता है तो वो कंट्रोल नहीं कर पाते। इसलिए थोड़ा-थोड़ा गुस्सा करते रहना चाहिए, रिश्तों और जिंदगी चलाते रहने के लिए अच्छा रहता है।”
― Divya Prakash Dubey,Musafir Cafe
“गलतियाँ सुधारनी जरुर चाहिए लेकिन मिटानी नहीं चाहिए। गलतियाँ वो पगडंडियाँ होती है जो बताती रहती हैं कि हमने शुरू कहाँ से किया था।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“जिनको गहरी नीद नहीं आती वो समझ पाते हैं कि दुनिया में सुबह से अच्छा कुछ होता ही नहीं । किसी भी चीज को हम सही से समझ ही तब सकते हैं जब उसको पाकर खो दे ।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“किसी को समझना हो तो उसकी शेल्फ में लगी किताबो को देख लेना चाहिए, किसी की आत्मा समझनी हो तो उन किताबो में लगी अंडरलाइन को पढ़ना चाहिए ।”
― Divya Prakash Dubey,Musafir Cafe
“ठिकाना तो कोई भी शहर दे देता हैं, गहरी नीद कम शहर दे पाते हैं ।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“सच्ची आजादी का कुल मतलब अपनी मर्जी से भटकना हैं ।”
― Divya Prakash Dubey,Musafir Cafe
“जिन्दगी एक ऐसा राज है जो बिना जाने हर जेनेरेशन बस आगे बढ़ते चले जाती है ।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“वो रिश्ते कभी लंबे नहीं चलते जिनमें सबकुछ जान लिया जाता है ।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“जो सुन के अच्छा लगता है वो अच्छा होता हैं और जो सुन के भी अच्छा न लगे वो अच्छा होकर भी अच्छा नहीं होता।”
― Divya Prakash Dubey, Musafir Cafe
“पहली हर चीज की बात हमेशा कुछ अलग होती है क्योकि पहला न हो तो दूसरा नहीं होता, दूसरा न हो तो तीसरा, इसलिए पहला कदम ही जिन्दगी भर रास्ते में मिलने वाली मंजिले तय कर दिया करता हैं।”